दर्द पक्का है, इसलिए मुस्कुराओ || आचार्य प्रशांत, अष्टावक्र गीता पर (2024)
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वीडियो जानकारी: 12.06.24, वेदांत संहिता, ग्रेटर नॉएडा
प्रसंग:
~ छोटी-छोटी समस्या बहुत परेशान करे तो क्या करें?
~ उलझनों से कैसे बचे?
~ अपने दर्द से कैसे बात करें?
आपदः सम्पदः काले दैवादेवेति निश्चयी।
तृप्तः स्वस्थेन्द्रियो नित्यं न वाञ्छति न शोचति ।।
~ अष्टावक्र गीता, अध्याय 11, श्लोक 3
अन्वय: काले = समय में; आपदः = आपत्तियाँ; च = और; सम्पदः = सम्पत्तियाँ; दैवात् एव = देवयोग से ही होती है; इति निश्चय = ऐसा निश्चय करने वाला पुरुष; नित्यं तृप्तः स्वस्थेन्द्रियः = नित्य संतुष्ट व स्वस्थेन्द्रिय हुआ; न वाञ्छति = अप्राप्त वस्तु की इच्छा नहीं करता है; च = और; न = न; शोचति = नष्ट हुई वस्तु को शोचता है ।।
भावार्थ: समय में आपत्तियाँ और सम्पत्तियाँ दैव (प्रारब्ध) से होती हैं, ऐसा जो पुरुष निश्चय कर लेता है, वह सदा ही तृप्त रहता है। उसकी इन्द्रियाँ सदा ही स्वस्थ रहती हैं। न तो वह प्राप्ति की इच्छा करता है और न ही खोने पर शोक करता है।
संगीत: मिलिंद दाते
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Пікірлер: 259
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@user-hq7ce2xr5d
Ай бұрын
Bsr 🌨️🌳🙏
@shindabainsshindabains
27 күн бұрын
11111❤❤❤
ज़िंदगी ही टूट जाए, इससे कहीं अच्छा है कैद की सलाखें तोड़ दो! ~Aachrya ji 🙏🏻🙏🏻❤️
तेरा साई तुझमे है जाग सके तो जाग संत कबीर
1. दर्द में मुस्कराना आना चाहिए उसी में लगे हुए हैं आचार्य जी उसमें पथ प्रदर्शक हैं। 2. किसी भी चीज को इतना महत्व नहीं दो की वह आत्मा ही बन जाए, क्योंकि फिर जब दूर होती व खोती है तो दर्द होता है। 3. आत्मा तो आत्मा है उसकी जगह ये सांसारिक साधन, सम्पदा और हमारा शरीर नहीं ले सकते ये सब नश्वर हैं और आत्मा अजर अमर है। 4. जिसको आपने संपदा बना लिया वही तो आपदा वह तुम्हारे साथ सदा कैसे रह सकती है जो सदा साथ रहती है वही तो आत्मा है। साथ ही उसी का देना है। 5.जो भी संपदा वो खिलौना मात्र है असली संपदा तो आत्मा है बाकी सब तो प्रकृति है जो बदलती रहती है आज तुम्हारे पास कल किसी ओर के ... 6. साधन को आत्मा बना लोगे तो दर्द को सहना पड़ेगा ही क्योंकि पीड़ा तुम्हे होगी ही इसलिए रो के नहीं हंस के सहना सीखो। 7. ये सभी देवयोग प्रकृति के ही संयोग हैं हमारे जीवन में जो सत्य है वो आत्मा है उसे अहम में स्थापित कर आनंद से जीवों।
बीना दर्द के आनंद हो ही नहीं सकता ❤❤
दर्द पर हंस पाना ही आनंद है, बिना दर्द के आनंद नहीं हो सकता। ❤ प्रणाम आचार्य जी 🙏🏾❤️
संपदा बनाओगे प्रकृति को तो आपदा भी स्वीकार करनी पड़ेगी। - अचार्य प्रशांत
१. न वांच्छित न शोचति- न मांगते है, न रोते है। २. सम्पदा= आपदा। ३. तृप्त नित्य- भविष्य की चिन्ता, या अतीत का स्मरण नहीं रहता। समय से मुक्त। ४. पाने वाले को पाकर कुछ मिल नहीं जायेगा। और खोने वाले को खोकर कुछ खो नहीं जायेगा। ५. सम्पदा मानने से, आपदा आमन्त्रित कर ली। ६. किसी ऐसी चीज को दिल बनाओ ही नहीं, जो हमसे बाहर जा सकती हो। ७. प्रकृति में ऐसे रहो, जैसे बच्चा खिलोनों के साथ। ८. Live with absurdity- बस आज की रात है जिंदगी, कल हम कहाँ तुम कहाँ। ९. दर्द पर हस पाना ही, आनंद है। १०. दैव योग(काल)= संयोग। ११. स्वस्थ इंद्री(मन इंद्री)= मन में संसार न बैठा रहे। अहम् का आत्मा में स्थापित होना। 🙏🏻🪔
अध्यात्म हमें असली जिंदगी प्रदान करता है वैसे तो जिंदगी जानवर भी जीते है❤
Aacharya prashant ji ki baate me 2-4din se sun rhi hu such m adbhud muje esa lga jese meri soch ka vyakti mila ho aacharya ji apko koti naman 🙏🏻🙌 apki baate n sirf baate h balki sehed ki trh jivan ko jine ki kla he❤
@radhavallabhshriharivansh12
Ай бұрын
Join live session
आचार्य जी इस युग के संत हैं।🙏सभी लोग केवल सुने नहीं,जीवन में भी उतारें,तभी फ़ायदा होगा। यथा संभव दान💸 करें।🫵कौन-कौन चाहता है आचार्य जी का चैनल 100✓Milion का हो।🥰
संसार को छाती पर रखकर नहीं फिरना है पा लिया तो भी एक ही बात है नहीं पाया तो भी एक ही बात है -आचार्य श्री
दुनिया तुम्हारे दिल के साथ खेलेगी, उसे बार- बार तोड़ेगी, उसे पैरों तले रौंदेगी, यदि तुम अपना दिल किसी ऐसी वस्तु को बनाओगे जो अपने से बाहर जा सके ! आचार्य श्री
आपदः सम्पदः काले देवादेवेति निश्चयी। तृप्तः स्वस्थेन्द्रियो नित्यं न वाञ्छति न शोचति ॥ अष्टावक्र गीता 11.3 व्याख्या: इस श्लोक में अष्टावक्र ऋषि यह बताना चाहते हैं कि एक सच्चा योगी या ज्ञानी व्यक्ति, जो यह समझ लेता है कि जीवन में आने वाले सुख-दुख, आपदाएँ और समृद्धि, सभी समय और ईश्वर की इच्छा के अनुसार होते हैं, वह व्यक्ति संतुष्ट और शांति में रहता है। उसकी इंद्रियाँ नियंत्रित और स्वस्थ होती हैं, और वह किसी भी प्रकार की इच्छा या शोक से मुक्त होता है। इस अवस्था में व्यक्ति मानसिक और आध्यात्मिक रूप से स्थिर और संतुलित रहता है।
जिस बात को सम्पदा मान लिया उस बात को सम्पदा मानने से ही आपदा आमंत्रित कर ली, आचार्य जी 🙏🙏🙏🙏
प्रकृति में मौज के लिए कोई कारण नही है,विरोधाभास में ही आनंद है.👍🙏
दर्द पर हँस पाना ही आनंद हैं , दर्द बिना आनंद नहीं है ❤❤
आचार्य जी जब से आपकी कहीं हुई बातें जीवन में लागू की है तब से समाज में एडजस्ट ही नहीं हो पा रहे है अगर कुछ बोले तो परिवार वाले बोलने लगता है कि , इसके दिमाग में कुछ दिक्कत हो गई है हमारी हालत तो धोबी के कुत्ते जैसी हो गई है 😅
@nitishsonii6677
Ай бұрын
same sister 😭🤣
@sonujain2348
Ай бұрын
Same here
@SSCjourneywithRiya
Ай бұрын
Right ❤😅💯
@user-wc6xx8ky2g
22 күн бұрын
😂😂😂 right
सभी दर्शक को विनंती है आचार्य प्रशांत जी के विङीयो मे जो सिध्दांतीक वाक्य और सुञ गुढ बाते कमेंट मे लिखा करे धन्यवाद
*प्रकृति को आत्मिक बनाएंगे तो,* *दुःख, कष्ट पाएंगे।*
जिसने प्रकृति के क्षेत्र को संयोगिक जान लिया वह उसे आत्मिक समझकर फिर दुख नहीं पाता - आचार्य श्री
हमे हमेशा बस आप के साथ की जरूरत है 🪔❣️😇
जिंदगी को जानिए, जीवन को गढ़िये, अपनी सुंदरतम प्रतिमा आपको खुद ही तराशनी है। - आचार्य जी । 💚
गुरूजी आपल्या ज्ञानाची तोड नाही❤❤❤ आपला हाथ धरणे नशीबवान च करू शकतो❤ आपले सामर्थ्य वर्णू किती❤ज्ञानाचा सागर🎉🎉❤🎉
पता है मेरे पास आसपास जो सब कुछ है खिलौना है उससे खेल लूंगा, पर उसको आत्मा बनाकर नहीं बैठूंगा। खिलौना, टूट भी जाए तो क्या रोना।❤
Osho ~तुम्हारे विचार जहर की तरह तुम्हें खोखला कर देंगे , विचारों की भीड़ से मुक्त होना है तो ध्यान करो 😊
न मांगते हैं, न रोते हैं।
अद्भुत अद्भुत अद्भुत कितनी सुंदर व्याख्या है आज ..मन आनद से ओत प्रोत हो गया...आधुनिक युग के let go और detachment को आचार्य जी ने कितने सुंदर शब्दो मे पिरोया है जो पुरातन काल से भाषा में मोजूद है... मज़ा आ गया सुनकर ...❤❤❤
दर्द पर हंस पाना ही आनंद है , बिना दर्द के आनंद नहीं हो सकता ।🍁
सुप्रभातम शत् शत् नमन आचार्य श्री🙏🙏🙏 एवं समस्त श्रोतागण
"नदी है तो तीर है, तृषा है तो नीर है, अर्जुन है तो कृष्ण है।" -आचार्य प्रशांत, गीता सत्र पर, ०९ जनवरी
- बाहर की चीज को संपदा बताओगे तो आपदा बनेगी - न मांगते है न शोक करते हैं / रोते हैं - खिलौने हैं तोड़ेंगे भी नहीं, खेलेंगे और रख देंगे, दिल मे नहीं बनाएंगे-> जो अपने से बाहर का है उसे दिल नहीं बनाना है - साक्षी होकर छुए कैसे, बस बच्चों की तरह पूरे मन से खेलना और भूल जाना है
Agr khush rhna h to Bina wjh khush rhna seekh lo ❤❤
न वाञ्छति न शोचति 🙏🏻🙏🏻
चरण स्पर्श, आचार्य जी। 🙇🏻🪔
Thank you acharya ji for the valuable videos and content
वजह तो दुख में होता है पर आनंद तो बेवजह है इसलिए मुस्कुराओ❤️👌
Guru dev 🙏🙏🙏🙏
Acharya ji is a great warrior,truth lover,vegan,animal activist,animal lover.salute to this great hero ❤❤
आचार्य जी को सादर प्रणाम 🙏🏼
मुस्कुराकर ग़म का ज़हर जिनको पीना आ गया। यह हकीक़त है कि जहाँ में उनको जीना आ गया ! Unknown
अहम् का आत्मा में स्थापित होना स्वास्थ्य है 🙏🙏❤❤
अद्भुत अद्भुत अद्भुत ..आज के वक्तव्य की इतनी सुंदर व्याख्या सुनकर मन आनद से ओत प्रोत हो गया..आज के युग के let go और detachment शब्दो को आचार्य जी ने कितने सुंदर शब्दो का प्रयोग करके बहुत आसान भाषा में व्याखायित कर दिया ...❤❤❤
Pranam Acharya Ji ❤
सत्य के अलावा कोई और संपदा बनाओगे । तो आपदा और विपदा के अलावा कुछ नहीं पाओगे। ~आचार्य प्रशांत
Naman Acharya ji koti koti pranam.....🙏🙏❤️🌺
स्थितप्रगया।
Aap sahi kah rahe hai aacharya ji
आचार्य प्रशांत के द्वारा अमृत का भंडार उपनिषद ,गीता ,अष्टावक्र गीता, बौद्ध दर्शन आदि समझाया जाता है धन्यवाद आचार्य जी
Jai Hind 🇮🇳🇮🇳🇮🇳
Ve Log Kitne ladke Hain Jo Aacharya Ji ko Samne se baithkar sun rahe hain
"दर्द पर हँस पाना ही आनन्द है बिना दर्द के आनन्द नहीं हो सकता" 44:36 🙏🏻❤️
आचार्य जि 🕉️🕉️🕉️🙏🙏🙏🇳🇵
खुश रहना हैं तो बेवजह खुश रहना सिखों।।।❤❤❤
प्रणाम अचार्य जी 🙏🙏🙏🙏🙏
Acharya ji ko koti koti pranam 🙏🙏🙏❤️❤️❤️
1. किसी बाहरी चीज को संपदा मानोगे तो वो बाद में आपदा बन जायेगी 2.किसी बाहरी चीज को आत्मा नहीं बनाया जाता। 3.आपदा सम्पदा एक साथ आते हैं अलग। अलग नइ आते है 4.प्रकृति के चीज के साथ बस खेल लो उसको भीतर मन में मत बैठो 5जैसा छोटा बच्चा खिलौनों के साथ खेलकर उसको भूल जाता है वैसे ही हमें भी प्रकृति के साथ रहना चाहिए 6.केवल एक ही सम्पदा होती है आत्मा बस 7.ना वंचति ना शोचति माने ना मंगते है ना रोते है ✨ 8.संपदा आपदा के चक्कर में आनंद से वंचित रह जाते हैं हम 9प्रकृति में सब संयोग होता है इसलिए हमें बस खेलना है 10.प्रकृति में आनंद की वजह नहीं है इसलिए बेवजह मुस्कुराओ 11.बहार की चीज को आत्मा बनने वाले हमेशा दुख पाते हैं, क्योंकि आत्मा बहार नहीं हो सकती, ✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨
Shat Shat Naman Acharya Ji 🙏🙏🙏🙏
दर्द है इसलिए मुस्कुराओ ❤
प्रणाम आचार्य जी 🙏
नमन गुरुवर 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Pls sbhi log mil ke achrya ji k channel ko 100 million aur uske baad me 500 million tak ki subscribers hone chahiye 🎉
Pranam Gurudev
कितने दिलो-जान से चाहा था हमने भी कभी इन अंधेरों को, पर हमें क्या पता था कि ये दिल्लगी सिर्फ रौशनी न मिलने तक ही रहेगी.. Acharya Prashant Sir❤👏🏻🔥😍😍
आचार्य जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद। जब से आप जीवन में आए हैं तब से जीवन को एक अलग ही दृश्य कोण से दिखता है। सब चीज दिखाई देते हैं कि किस तरीके से दुख हमें तोड़ने के लिए हमारे जीवन में आता है मगर हम दुख से भी काफी ज्यादा स्ट्रांग है। दुःख हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता आपने सच्चा जीवन सिखा दिया है । आचार्य जी अब यह समझ में आने लगा है कि दुख कब आता है ? क्यों आता है ? दुख की पूरी प्रक्रिया ही समझ में आने लगी है। जीवन उतना ज्यादा दुख है नहीं जितना हमें जीना सिखाया गया है समाज के द्वारा । मगर अगर आपकी बात सब लोगों तक पहुंच जाए तो हर इंसान एक बहुत अच्छा जीवन एक बहुत ऊंचा जीवन जी सकता है जिसमें मानव कल्याण तो है ही उसके अतिरिक्त अन्य जीवों का कल्याण हो रहा है और कहीं ना कहीं प्रकृति भी अपने सुचारू रूप से चल रही है। आपका बहुत बहुत धन्यवाद। ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
निःशब्द हूँ, निर्विकल्प हूँ, नतमस्तक हूँ सत्य के समक्ष । शत शत नमन गुरुदेव ❤ ❤ ❤ 🙏🏼✨🙏🏼✨🙏🏼
Jay ho 🙏🧘🙏
Is Dharti per Janm Liya Hai To Kuchh acche Karm Karke Jaaye Baki to yah Sharir nashwar hai Aacharya Shri Ji ko Mera Sadar Prana💐🙏
Your teachings are creative .gives resolution sustitution sublimation of mind from impurity to purity level by level transformation in character
Kon kon bus sun raha h kis kis ne chaildfree life by chois choose kari h in present from hyderabad
🙏 आचार्य श्री 🙏
सर कृपया आप एक वीडियो कबीर दास जी की अनुराग सागर वाणी पर भी बनाओ क्योंकि जो इसमें चौथे लोक के बारे में लिखा है क्या वे सत्य है और कबीर पंथियों का ज्ञान भी इसी आधार पर है 🙏
Badi baat Ko sankshipt me samjha Diya sar aapane, bahut kuchh Insan ke Bus me nahi hota Hai
❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
सादर प्रणाम आचार्य जी। 🙏
Good morning acharya ji
Good morning 🌞 sir ji
आचार्य जी के अनुयायियों की संख्या तेजी से बढ़ते देख कर बहुत बहुत बहुत अच्छा लगता है l सत्य के प्रति और सत्य से अवगत कराने वाले आचार्य जी के प्रति लोगों का रुझान बढ़ते देख कर बहुत अच्छा लगता है l नमन 🙏🙏❤️
चरण स्पर्श आचार्य जी🙏🙏🙏❤❤❤
Waah dhanyawad achrya ji namaste sir ❤❤
"जिसको संपदा मान लिया वो जान बन जाता है, किसी का जान बन जाना ही आपदा है" - आचार्य प्रशांत
सत्यमेव जयते आचार्य जी इसी संदेश को आगे बढ़ा रहे हैं कृपया सभी से निवेदन है कि प्रतिदिनआचार्य जी की 5 वीडियो पर काम से कम एक कमेंट अवश्य करें
आचार्य प्रशांत जी के चरणों में प्रणाम गुरु जी ❤❤😊😊
यहां इतना मूल्यवान कुछ भी नही है कि उसको दिल में बैठा लो, उसको केंद्र बना लो।
न वान्छति न सोचती ❤
Thanks acharya ji 🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾
अब तो आचार्य जी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने के लिए हर शब्द छोटा लगता है ..... जैसे जैसे आचार्य जी को सुनती जा रही हूं,निशब्द होती जा रही हूं, गहरे मौन में जाती जा रही हूं l आचार्य जी को शत शत नमन, प्रतिपल नमन 🙏🙏❤
Day 8 Namaste Acharya Ji❤
प्रणाम आचार्य जी ❤❤❤❤❤❤❤❤
Aacharya Prashant is best❤❤
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏~~ प्रणाम आचार्य जी ~~❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏~~ प्रणाम आचार्य जी ~~❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️
Pranam achrya ji good morning achrya ji 🎉
मन में संसार नहीं बैठा रहे वही स्वास्थ्य की निशानी है।
जहां सम्पदा होगी वहां आपदा भी होगी। तो सम्पदा मिल भी जाए तो यह मत समझ लेना कि बहुत कुछ मिल गया। बाहर की चीज को भीतरी बना देना ही आपदा है।
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🙏🙏🙏🙏🙏
Sir good morning
न वंछती ना शोचति 🎉🎉
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
सादर प्रणाम आचार्य जी 🙏❤️