चंचल चपल चतुर चन्द्रावली चाले चटक मटक की चाल

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Пікірлер: 6

  • @ashamody8710
    @ashamody8710Ай бұрын

    ATI. Sunder. Jai shri krushna

  • @BijuBijuathira
    @BijuBijuathira22 күн бұрын

    Hare Krishna Jai shree radhe radhe

  • @binita894
    @binita894Ай бұрын

    जय हो .....🙇‍♀️

  • @PradipbhaivyasVyas
    @PradipbhaivyasVyas3 ай бұрын

    Jay shree Krishna Baba mandir jay radhe Krishna ji suprabhat mitro happy Holi festival

  • @harshu2000
    @harshu20003 ай бұрын

    please lyrics bhi dijiye

  • @harshkrishna2487

    @harshkrishna2487

    2 ай бұрын

    *चंचल चतुर चपल चन्द्रावली चाले* 🌻चंचल चपल चतुर चंद्रावली चाले, चटक मटककी चाल। चटक मटककी चाल चाले, चटक मटककी चाल ||ध्रु|| 🍁--चंद्रावली दधि बेचन चालीजी, घेरी गैल छैल बन मालीजी। दान दधि जोबन देऊ चुकाय, दहेड़ीको नेक दही दै खवाय, कहे यो चंद्रावली मुस्काय, 🙏 *दोहा- जो कान्हा पल्ले परो, लाओ पतौआ तोर।* *छोड़ मनसुखा को गए, मोहन माखन चोर।* 👉 *चंद्रावली गई सटक मारा, मनसुखके गुलचा लाल-(२)... चंचल ||१||* - 🏵️ पत्ता तोड़ श्याम जब आए जी, मनसुखलाल रोवते पाएजी। ना देखी चंद्रावली बृजनार, करन लागे मनमें सोच विचार, खीरकमे जाय सोये मन मार, 🙏 *-दोहा-** ढूंढते ढूंढते डोलती, घर-घर जसुमति माय।* *मेरो कान्हा कीत गयो, कोई देहो बताय।* 👉 *कहे मनसुखलाल खिरक में, सोय रहे नंदलाल-(२)... चंचल ||२||* - 🌹 -हैरत मात श्याम नाये बोलेजी, क्यों लाला तू पर्यों रे खटोलेजी कि तोकू कौने दीनी गार, कि तोको आवत ताव बुखार, बताई दे मेरे प्राण आधार, - 🙏 *दोहा- ना काहू गारी देई, ताव न आवत मोय।* *छल कर गई चंद्रावली, कहा बताउं तोय।* 👉 *आपके लालके चार ब्याह करूं, घर चल मदन गोपाल-(२)... चंचल ||३||* - 🌞 -समद बहाऊ मैया चार बहुरीयजी, मेरे मन बसी चंद्रावली गुजरीयाजी। कहे मैया मो डिंग आऊ, तोए छल गई तोय वाय छलवाऊ, चल्यो तू री ढोरे कू जाऊ, - 🙏 *दोहा- इतनी सुनके श्यामने, सखी भेष लियो धार।* *लहंगा फरीया पहर के, कर सोलह श्रृंगार।* *चलत कमर वलखाएं बन गई, नव नवरंगी बाल-(२)... चंचल ||४||* - 🦚 -तुरंत श्याम बन गए हैं जनानीजी, यशोदाने प्रभु नाय पहचानेजी। उलाहना देने लगे घनश्याम, सांवरी सखी बतायो नाम, तिहारो छोड़ जाऊंगी गाम, - 🙏 *दोहा- यशोदाने पहचानके, लिए कंठ लगाय।* *मैया की आज्ञा भईके, रिठोरा गए आय।* *चंद्रावलीको कुछ रहे घर, सखी बने नंदलाल-(२)... चंचल ||५||* - 🎍 -चंद्रावलीके घरकी यहीतो डगरीयाजी, ऊंचीसी अटरीयामें लाल किवरीयाजी। पहुंच गए चंद्रावलीके द्वार, खोल बहना नेक जंग किवार, द्वार पर कबकी रही है पुकार, 🙏 *दोहा- चंद्रावली कहने लगी, सुनो सखी सुकुमार।* *कहांसे आई नाम गांम, तो मुखते उच्चार।*उसके *कहां लगे नाते में अली, कह दे सोच हवाल-(२)... चंचल ||६||* -- 🌻 चंद्रावली सुन सांचे बे नारी, पीहर ते आई लागू तोरी बहनारी कहे यो चंद्रावली समझाय, खिलाइ गोदन जन्मी माय, कहां ते बहन गई तू आय, -- 🙏 *दोहा- चंद्रावली ते सामरी, सखी लगी यों कहन।* *मामा फूफी की दोऊ, हम तुम लगे बहन।* *ब्याह तेरे ते मोय सासरे, भेज दही तत्काल-(२)... चंचल ||७||* -- 🪴- मिलत बहन दोऊ भुजा रे पसारीजी, चंद्रावलीने गिरा रे ऊझारीजी कहत मे लगे लाज बानी, लगे तेरी छाती मरदानी, सामरी सखी कहे सयानी, - 🙏 *दोहा- बहेना तेरो निशा दिना, करत रहत ही सोच।* *सोच करत में है गई, मेरी छाती पोच।* *तेरे देखे बिना बहन में, पाये दुख कराल-(२)... चंचल ||८||* - 🌺-चलरी बहन दोऊ पानी भर लावेजी, मिलजुलके कुआंपें आवेजी। अचंबो भयो सखी मोहे आज, कहत मे आवे मोकु लाज, चले तु चाल मर्दयी भाज, 🙏 *दोहा- बालापनमें बा करुवा, घेर चराई गाय।* *वह लकब मोय लग रही, सुन बैना चिल्लाय!* *चाल मेरी मरदानी पर तू, मति करे रे प्यार-(२ चंचल ||९||* 🏵️ --चलरी बहन तोए ऊबट न्हवाऊजी, तेल सुगंधित अत्तर मिलाऊजी। सामरी सखी जोर कहे हात, मेरे घर शेर शीतला मात, सुनी बढ़िया पुराण में बात, 🙏 *-दोहा-** तो बहना न्हाओ मती, भोजन करो अघाय।* *सखी सामरी प्रेम ते, बड़े-बड़े ग्रासन खाय।* *खीर खाड पकवान मिठाई, छके अनेकन माल-(२)... चंचल ||१०||* -- 🍀 कहत सुनत मोहे शरम लगत है री, मरदाने तू कोर भरत है री। सामरी सखी करें अरदास, मेरे घर में लड़हारी सास, देर जो करूं देय दुख त्रास, 🙏- *दोहा- भोजन कर बीडी रही, फिर है आई रेन।* *पचरंग पलंग बिछायके, करो सेज सुख चैन।* *चराण पलोटतमें पिंडारीनमें, लगे खुरदरी खाल-(२)... चंचल ||११||* -🦜 -तेरे बिरजमें लोग ठगोरारी, कहां बूढ़ों कहा जवान छिछोरारी। बताई दई मोकु ऊबट बाट, जहां कांटे करीन के घाट, छिल्ली पिंडरी लहंगा गयो फाट, 🙏- *दोहा- सोलह श्रृंगार उतार के, पितांबर लियो धार!* *चंद्रावली चकित भई, करन लगी बलिहार।* *मैंतो तोहे लाल जबभी जान गई, पर्यो न खाई जाए-(२)... चंचल ||१२||* - 🦚 -कौन तेरी बहना ने कौन तेरा बीरारी, तू गुजर हम जात अहीरारी। तनिक दधि कुछल आई मोये, छल्ली वा कारण मैंने तोये, परस्पर बदलो जग में होये, - 🦚 *दोहा- चंद्रावली लीला करी, प्रेम भरी घनश्याम।* *गोवर्धन दस बीस में, छितर घासीराम।* *छीतर "घासीराम" युगल छवि, निरखत भये* *निहाल-(२)... चंचल ||१३||*

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