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बुधवार व्रत कथा 🙏- Budhwar Vrat Katha - बुधवार व्रत की कहानी - Ganesh Ji Katha 🙏Humule Indian

बुधवार व्रत कथा - Budhwar Vrat Katha - बुधवार व्रत की कहानी - Ganesh Ji Kathaगणेश जी की कहानी
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Humule Indian
एक समय की बात है........एक व्यक्ति की पत्नी अपने मायके गयी हुई थी......एक दिन उसका पति अपनी पत्नी को विदा करवाने (वापस लेने)
अपनी ससुराल गया।......... वहाँ पर कुछ दिन रहने के बाद अपने सास-ससुर से अपनी और अपनी पत्नी की विदाई करने के लिए कहा ।........किन्तु सभी ने कहा कि आज बुधवार है
आज के दिन गमन नहीं करते है ।
वह व्यक्ति किसी भी प्रकार नहीं माना
और हठधर्मी करके बुधवार के दिन ही
पत्नी को विदा
कराकर अपने नगर को चल पड़ा।...... राह में उसकी पत्नी को प्यास लगी तो उसने अपने
पति को कहा कि मुझे बहुत जोर से प्यास लगी है।........
तब वह व्यक्ति लोटा लेकर रथ से उतरकर जल लेने चला गया।जैसे ही वह पत्नी के निकट आया तो वह यह देखकर
आश्चर्यचकित रह गया कि ठीक उसकी ही जैसी सूरत तथा वैसी ही वेश-भूषा में एक व्यक्ति
उसकी पत्नी के पास रथ में बैठा हुआ है। उसने क्रोध से कहा कि तू कौन है.......
जो मेरी पत्नी
के निकट बैठा हुआ है। दूसरा व्यक्ति
बोला यह मेरी पत्नी है।
मैं अभी-अभी सुसराल से विदा करा
कर ला रहा हूं।वे दोनो व्यक्ति परस्पर झगड़ने लगे। तभी राज्य के
सिपाही आकर उस लोटे वाले व्यक्ति को पकड़ने लगे।
एक सिपाही ने स्त्री से पूछा कि तुम्हारा असली पति कौन सा है ?
तो पत्नी शान्त ही रही क्योकि दोनो एक जैसे थे वह किसे
अपना पति कहे। वह व्यक्ति ईश्वर से प्रार्थना करता हुआ बोला- हे
परमेश्वर यह क्या लीला है मैं सच्चा होकर भी झूठा बना हुआ हूँ ।तभी आकाशवाणी हुई कि अरे! मूर्ख
आज बुधवार के
दिन तुझे गमन नही करना था।
तूने किसी की भी बात
नही मानी। यह सब लीला बुधदेव
भगवान की है। ऐसा सुनकर उस व्यक्ति ने बुधदेव भगवान से प्रार्थना की और
अपनी गलती के लिए क्षमा मांगी। तब बुधदेव जी
अनतर्ध्यान हो गए।
वह अपनी स्त्री को लेकर घर आया तथा वे दोनो पति पत्नि नियमपूर्वक बुधवार का व्रत करने लगे। जो व्यक्ति
इस कथा को सुनता है तथा सुनाता है उसको बुधवार के दिन यात्रा करने में कोई
दोष नही लगता है, उसको सर्व प्रकार
से सुखो की प्राप्ति होती है ।
• बुधवार व्रत कथा 🙏- Bud...

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