बिहारी ।। महाकवि बिहारी ।। सतसई ।। Bihari Mahakavi Bihari Satsayi

बिहारी ।। महाकवि बिहारी ।। सतसई ।। Bihari Mahakavi Bihari Satsayi
सतसई के रचयिता
सतसई किसकी रचना है
सतसई किस काल में लिखी गयी
सतसई का पहला दोहा
रीतिकाल
सतसैया
'मुक्तक' काव्य
satsayi ke rachyita
satsayi kiski rachna hai
satsayi kis kal me likhi gayi
Satsaiya
Satsayi ka pahla doha
Ritikal
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ABOUT THIS VIDEO-
इस वीडियो में आपको महाकवि बिहारी और उनकी रचना सतसई के बारे में पूरी जानकारी मिलेगी। सतसई रीतिकाल की रचना है। बिहारी ने इसकी रचना ब्रजभाषा में की है।
बिहारी सतसई का पहला दोहा है-
"मेरी भव-बाधा हरौ, राधा नागरि सोय।
जा तन की झाँई परे स्याम हरित दुति होय।।"
सतसई के बारे में प्रसिद्ध है-
"सतसैया कै दोहरे, अरु नावकु कै तीरु।
देखत तौ छोटैं लगैं, घाव करैं गंभीरु ॥"
बिहारी के इस दोहे ने जयसिंह पर जादू किया-
"नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास यहि काल।
अली कली ही सौं बंध्यो, आगे कौन हवाल॥"
बिहारी की शादी मथुरा में हुई और इनकी युवावस्था ससुराल मथुरा में ही व्यतीत हुई।
ये सारी बातें निम्न दोहे से प्रकट है -
"जन्म ग्वालियर जानियेखंड बुंदेले बाल।
तरुनाई आई सुघर मथुरा बसि ससुराल॥"
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YOUR QUERIES AND KEYWORDS:-
बिहारी किस राजा के दरबारी कवि थे
बिहारी के गुरु का नाम
बिहारी किस सम्प्रदाय में दीक्षित थे
बिहारी के साहित्यिक गुरु का नाम
"मेरी भव-बाधा हरौ, राधा नागरि सोय।
जा तन की झाँई परे स्याम हरित दुति होय।।"
सतसई का पहला दोहा
Satsayi ka pahla doha Satsayi me dohon ki sankhya Satsayi satsyi stsyi bihari beehari biharee Satsaiya
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देखने के लिये धन्यवाद🙏

Пікірлер: 7

  • @nehaparse6490
    @nehaparse649027 күн бұрын

    Keshavdas

  • @jugrajmeena9421
    @jugrajmeena94212 ай бұрын

    Bohat acha samjaya he

  • @hindikiduniyase

    @hindikiduniyase

    2 ай бұрын

    धन्यवाद

  • @PawanMilanJ2
    @PawanMilanJ23 ай бұрын

    बहुत खूब लिखा गया है

  • @hindikiduniyase

    @hindikiduniyase

    3 ай бұрын

    धन्यवाद

  • @riyasharma-bp2cd
    @riyasharma-bp2cd4 ай бұрын

    Keshav dash

  • @hindikiduniyase

    @hindikiduniyase

    4 ай бұрын

    एकदम सही जवाब

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