।।भरत मिलाप की लीला में सभी नवीन कलाकारों ने किया शानदार अभिनय।।

भरत को जब पता चला कि माता कैकेयी ने उन्हें राजसिंहासन पर बैठाने के लिए राम को 14 वर्ष का वनवास दिलाया है, तो वह माता से भला-बुरा कहने लगे और राम को वापस लाने के लिए वन की ओर चल दिए। उधर वन में प्राकृतिक शोभा से युक्त दर्शनीय स्थल चित्रकूट पर्वत पर निवास करते हुए राम सीता प्राकृतिक छटा का आनन्द ले रहे थे, सहसा उन्हें चतुरंगिणी सेना का कोलाहल सुनाई दिया और वन्य पशु इधर-उधर भागते हुए दिखाई दिए। यह देखकर राम लक्ष्मण से बोले, ऐसा प्रतीत होता है कि इस वन-प्रदेश में वन्य पशुओं के आखेट हेतु किसी राजा या राजकुमार का आगमन हुआ है। तुम जाकर इसका पता लगाओ।'
लक्ष्मण तुरंत एक ऊँचे वृक्ष पर चढ़ गए। उन्होंने देखा, उत्तर दिशा से एक विशाल सेना, हाथी, घोड़ों और अस्त्र-शस्त्रों से सुसज्जित सैनिकों के साथ चली आ रही है, जिसके आगे अयोध्या की पताका लहरा रही थी। लक्ष्मण समझ गए कि वह अयोध्या की सेना है। राम के पास आकर क्रोध से लक्ष्मण ने कहा, 'भैया! कैकेयी का पुत्र भरत सेना लेकर इधर चला आ रहा है। वह वन में अकेला पाकर हमारा वध कर देना चाहता है जिससे निष्कंटक होकर अयोध्या पर राज्य कर सके। मैं इस भरत को उसके पापों का फल चखाऊँगा।'
राम ने कहा, 'लक्ष्मण! तुम ये कैसी बातें कर रहे हो? भरत तो मुझे प्राणों से भी प्रिय है। अवश्य ही वह मुझे अयोध्या वापस ले जाने के लिए आया होगा। भरत में और मुझमें कोई अंतर नहीं है, तुमने जो कठोर शब्द भरत के लिए कहे हैं, वे वास्तव में मेरे लिए कहे हैं। किसी भी स्थिति में पुत्र पिता के और भाई-भाई के प्राण नहीं लेता।' राम की भर्त्सना सुनकर लक्ष्मण बोले, 'हे प्रभु! सेना के साथ पिता जी का श्वेत छत्र नहीं हैं। इसी से मुझे आशंका हुई। मुझे क्षमा करें।' श्रीराम से उनकी खड़ाऊँ लेते हुए भरत पर्वत के पास अपनी सेना को छोड़कर भरत - शत्रुघ्न राम की कुटिया की ओर चले। उन्होंने देखा, यज्ञ वेदी के पास मृगछाला पर जटाधारी राम वक्कल धारण किए बैठे हैं। वे दौड़कर रोते हुए राम के पास पहुँचे। 'हे आर्य' कहकर वे राम के चरणों में गिर गए। शत्रुघ्न की भी यही अवस्था थी। राम ने दोनों भाइयों को हृदय से लगाया और पूछा, 'पिताजी तथा माताएँ कुशल से हैं ना? कुलगुरु वसिष्ठ कैसे हैं? तुमने तपस्वियों जैसा वक्कल क्यों धारण किया है?'
रामचन्द्र के वचन सुन भरत अश्रुपूरित बोले, 'भैया! हमारे धर्मपरायण पिता स्वर्ग सिधार गए। मेरी माता ने जो पाप किया है, उसके कारण मुझ पर भारी कलंक लगा है, मैं किसी को अपना मुख नहीं दिखा सकता। मैं आपकी शरण में आ गया हूँ। आप अयोध्या का राज्य सँभाल कर मेरा उद्धार करें। सम्पूर्ण मन्त्रिमण्डल, तीनों माताएँ, गुरु वसिष्ठ आदि सब यही प्रार्थना लेकर आपके पासे आए हैं। मैं आपका छोटा भाई, आपके पुत्र के समान हूँ, माता के द्वारा मुझ पर लगाए गए कलंक को धोकर मेरी रक्षा करें।' जब राम-भरत मिलाप हुआ तो भरत राम से लिपटकर रोने लगे। वह दृश्य बहुत मार्मिक था। भरत ने राम से कहा कि अयोध्या पर राज करने का अधिकार सिर्फ आपको है, आपकी जगह कोई भी नहीं ले सकता और राम से अयोध्या वापस चलने की ज़िद करने लगे।
इस दृश्य में भाईयों के बीच प्रेम की पराकाष्ठा को दर्शाया गया है। राम ने कहा कि मैने पिताजी को वचन दिया है कि मैं 14 वर्ष का वनवास पूरा करके ही अयोध्या लौटूँगा। तब भरत राम की 'चरण पादुकाएँ' सिर पर रखकर अयोध्या ले आए और उन्हें सिंहासन पर रखकर सेवक के रूप में राजकाज संभालने लगे
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Пікірлер: 13

  • @rajeshsinghkaintura7452
    @rajeshsinghkaintura7452Ай бұрын

    Jai shree ram

  • @SunitaDevi-kp9jb
    @SunitaDevi-kp9jbАй бұрын

    Guruji se hi Ram ka paath khilvad Bade acche Khel rahe hain 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🚩🚩🚩🚩🚩🚩

  • @kuldeepkaintura3688
    @kuldeepkaintura3688Ай бұрын

    Bhut Sundar

  • @nehakaintura1880
    @nehakaintura1880Ай бұрын

    Bahut sunder

  • @pradeepkaintura995
    @pradeepkaintura995Ай бұрын

    बहुत सुंदर

  • @prakashmehra2322
    @prakashmehra2322Ай бұрын

    Very good

  • @sunilrawat5940
    @sunilrawat5940Ай бұрын

    जय सिया राम 👏👏

  • @anishakaintura7416
    @anishakaintura7416Ай бұрын

    ❤🙏

  • @surajmehra2384
    @surajmehra2384Ай бұрын

    Jay shree ram 🙏❤

  • @Premadevi-pz7kv
    @Premadevi-pz7kvАй бұрын

    ♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️🎉🎉🎉🎉🎉

  • @PoojaMehra-tg5kz
    @PoojaMehra-tg5kzАй бұрын

    Kon

  • @thesstupidsboys2271
    @thesstupidsboys2271Ай бұрын

    Bahut Sundar sabhi kalakaron ko bahut bahut badhai AVN shubhkamnaen Jay Shri Ram🙏🙏❤

  • @Apnatime-SA11
    @Apnatime-SA11Ай бұрын

    🙏

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