अब वो फनकार नहीं रहे जिनको सुनकर सुबाह गुजर जाती थी आखिर में छोटे मजीद भाई भी अब उमर में ढल गए हे अब ये जितने भी ही इनको सुनकर रात गुजरना मुस्किल ही
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अब वो फनकार नहीं रहे जिनको सुनकर सुबाह गुजर जाती थी आखिर में छोटे मजीद भाई भी अब उमर में ढल गए हे अब ये जितने भी ही इनको सुनकर रात गुजरना मुस्किल ही