Aviral Chalti Rahe Sadhana -Lyrics अविरल चलती रहे साधना

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Aviral Chalti Rahe Sadhana-Lyrics
अविरल चलती रहे साधना ॥धृ॥
ऊत ध्येय पावन है साधन
ध्येय इष्ट अपना मन भावन
श्रम जल से प्रिय इष्ट देव की
प्रति दिन होती रहे अर्चना ॥१॥
प्रतिपल पग बढ़ता ही जाये
लक्ष्य निकटतर आता जाये
साधक होकर जिये जगत में
जीवन ही बन जाये साधना ॥२॥
अमित स्नेहमय हृदय दीप हो
हँस हँस जलजग तम हरता हो
परहित ज्योतिर्मय जीवन दो
प्रभु से केवल यही याचना ॥३॥
करते जायें नवयुग सर्जन
जन जन में भर दे नवजीवन
धरती को नन्दन वन करदे
पुरी होगी तभी साधना ॥४॥

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