Assalam Ahmad Raza behre siyadat assalam | New Salam | 2024
#अस्सलाम अह़मद _रज़ा _बेहरे _सियादत _अस्सलाम
#ऐ _इमामे _अहले_सुन्नत _आ़ला_ह़ज़रत_अस्सलाम
ऐ मुजद्दिद इंतिख़ाबे रह़मतुल-लिल-आ़लमीनﷺ
ऐ चराग़े दीन ऐ शमऐ ह़िदायत अस्सलाम
जाने ईमां मुस्तफ़ाﷺ हैं ये किया तुम ने बयान
डाल दी दिल में शहे आ़लम की अ़ज़मत अस्सलाम
ऐ रज़ा ऐ नाइबे शब्बर, अ़ली की ज़ुल्फ़िक़ार
ऐ शहीदे करबला की फ़तह़ो नुसरत अस्सलाम
ह़ैदर ओ ह़सनैन ओ ज़हरा की मुहब्बत है नजात
ये सबक़ तुम ने पढ़ाया आ़ला ह़ज़रत अस्सलाम
सुन्नियत है ईश्क़े अहले बैत के के जज़्बे का नाम
ये फ़तावा रज़विया है बा-करामत अस्सलाम
बर्क़ है खूंख्वार है ख़ंजर अ़दु के आर-पार
परतवे फ़ारूक़ की बे मिस्ल जुरअ़त अस्सलाम
ग़ौसे आ़ज़म पर किया क़ुर्बान तुम ने जानो दिल
ग़ौसे आ़ज़म के दुलारे उनकी चाहत अस्सलाम
है विलायत का तुम्हारे सर पे ताजे बे मिसाल
फ़ज़्ले ख़्वजा ग़ौसे आ़ज़म की इनायत अस्सलाम
शक़ हूई तुरबत हुआ ख़्वाजा का चेहरा जलवा रैज़
तुम थे उस दम तन्हा ज़ाइर वाह क़िस्मत अस्सलाम
ऐ मुफ़क्किर ऐ मुफ़स्सिर ऐ फ़क़िहे बे-बदल
ऐ मुहद्दिस ऐ इमामे इश्क़ो उल्फ़त अस्सलाम
तुम कमरबस्ता थे उनपर जो थे गुस्ताख़ ओ कमीन
था पसंदीदा ये फ़न ईमां की शिद्दत अस्सलाम
ईद ए मिलादुन्नबी पर जल के मरते हैं ख़बीस
है तुम्हारी नजदियों पर ऐसी हैबत अस्सलाम
समझे जो रब के मुक़ाबिल हैं रसूलों के इमाम
तुम किए इस शिर्क पर नाफ़िज़ शरीअ़त अस्सलाम
है तुम्हारी ज़ात मरकज़ सुन्नियों का बा-वक़ार
और मसलक है कुतुब में ये वसीयत अस्सलाम
तुरबते अत़हर से जारी है इनायत की बहार
करदो बेड़ा पार मुझ को दो बशारत अस्सलाम
आप की शहज़ादियां हैं सय्यदा को सब क़ुबूल
आप के शहज़ादों को ह़ैदर की क़ुरबत अस्सलाम
आप के मज़हर रहे हैं शेरे सुन्नत बिलयक़ीन
और ख़लीफ़ा भी मुनाज़िर शाहे ह़शमत अस्सलाम
दौरे ह़ाज़िर में तुम्हारे सच्चे वारिस, जानशीन
फ़ातह ए कश्मीर हैं वो अच्छे हज़रत अस्सलाम
ख़ानक़ाहे ह़शमती को तुम ने ग़ालिब कर दिया
दुश्मनाने दीन पर है क़ेहरे क़ुदरत अस्सलाम
ऐ मेरे आक़ा मेरे मौला मैं हूं ग़म से निढ़ाल
हो मदद अब सदक़ा ए इदरीसे मिल्लत अस्सलाम
ऐ कनिज़े ग़ौसीया ऐ फ़ैज़याबे पंजतन
मुश्किलें आसान करदो दे दो राह़त अस्सलाम
वो करम का बाड़ा बटता हैं क़तारों पर क़तार
तुम से बाजी साह़िबा जारी सख़ावत अस्सलाम
क्यूं दबे किस से दबे बंदा तुम्हारा जांनिसार
पीरे पीरां की हिफ़ाज़त में है बैअ़त अस्सलाम
ऐ रज़ा प्यारे रज़ा तुम पर समर की जां फ़िदा
बरसे तुम पर ख़ालिक़े आ़लम की रह़मत अस्सलाम
अज़ मोह़ताजे मुर्शिदे पाक सैय्यद इरफ़ान समर बुरहानपुरी
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رضوان اللہ علیہم اجمعین
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सुबहान अल्लाह माशा अल्लाह
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