अष्टावक्र गीता | निष्काम कर्म क्या है | Ashtavakra Geeta | #AshtavakraGeeta7 Ashtawakra Geeta By Swami Prakhar Pragyanand
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Пікірлер: 25
@chandrakant94011 ай бұрын
Saaheb bandagi satnaam ❤❤❤❤❤
@brahmagyan265511 ай бұрын
आत्मा और परमामता में भेद इसलिए बताया जाता है ताकि हम उस मार्ग पर चले जैसे, शुरुआत में ज्ञानी जन या गुरु कहते है की शरीर और आत्मा अलग है ये सिर्फ इशारा है धीरे धीरे पता चलेगा आपको की शरीर और आत्मा जेसी 2 अलग अलग वस्तु थी ही नहीं । फिर गुरु कहते है की आत्मा और परमात्मा अलग है ताकि आप उस परमात्मा की शरण में जाए, इस करते करते जो उच्च अवस्था प्राप्त करता है उसको पता चलता है कि आत्मा का अलग अस्तित्व था ही नही यहां सिर्फ और सिर्फ परमात्मा ही है । इसीलिए कबीर दासजी कहते है, " प्रेम गली अति सांकरी, ता में समाए न दो, तू है तो में नही, में हु तो तू नही "।
@vinodchanchlani28011 ай бұрын
Jay gurudev ji
@Max2023vlogs10 ай бұрын
Jai Sri ram
@jurisarma28206 ай бұрын
Paramshanti 🙏
@babitasharma295 Жыл бұрын
Atma janam marank chakara m aata hai parampita paramatma iss se nayara aur ati pyara hai
@cute_princess_097
2 ай бұрын
Aatma nahi jeevaatma yani saksm sarer 😂😂
@haripriyaharipriya99668 ай бұрын
❤ से धन्यवाद
@vinodlatiyal60318 ай бұрын
आत्मा और परमात्मा में उतना ही अंतर है.. जितना दीपक की लौ.. और दीपक का प्रकाश में होता है स्याही और अक्षर में जितना अंतर है.. उतना ही आत्मा परमात्मा में होता है
@kakajoshi413511 ай бұрын
❤❤❤ जय श्री राधे राधे जी ❤❤❤❤ ❤❤❤ जय श्री कृष्ण कृष्ण जी ❤❤❤
@dayal1580 Жыл бұрын
सादर प्रणाम आपको और दंडवत प्रणाम अष्टावक्र जी को जिन्होने मुक्ति का इतना सरल सहज मार्ग दिखाया...🙏🏹
आत्मा और परमात्मा का जो अंतर है , वो पानी की एक बूंद और सागर जैसा है। मनुष्य विषयों में लिप्त इसलिए है की वो उस बंद जितनी ही समझ रखता है जो सागर मे होकर भी स्वय को बूंद ही जानती है । किसी के देखने से तो वो सागर है स्वयं ना जानने के कारण वो बूंद जितनी ही समझ रखती है। जय श्री राधे राधे।
@jbsingh3309
Жыл бұрын
😢😢. .. ..
@jbsingh3309
Жыл бұрын
,...
@jbsingh3309
Жыл бұрын
😢😢 S p
@user-zh8op3vf6i
11 ай бұрын
@brahmagyan2655
11 ай бұрын
आत्मा और परमामता में भेद इसलिए बताया जाता है ताकि हम उस मार्ग पर चले जैसे, शुरुआत में ज्ञानी जन या गुरु कहते है की शरीर और आत्मा अलग है ये सिर्फ इशारा है धीरे धीरे पता चलेगा आपको की शरीर और आत्मा जेसी 2 अलग अलग वस्तु थी ही नहीं । फिर गुरु कहते है की आत्मा और परमात्मा अलग है ताकि आप उस परमात्मा की शरण में जाए, इस करते करते जो उच्च अवस्था प्राप्त करता है उसको पता चलता है कि आत्मा का अलग अस्तित्व था ही नही यहां सिर्फ और सिर्फ परमात्मा ही है । इसीलिए कबीर दासजी कहते है, " प्रेम गली अति सांकरी, ता में समाए न दो, तू है तो में नही, में हु तो तू नही "।
@brahmagyan265511 ай бұрын
Jo bhi ye mante hai ki bhagwan sirf ek purush ki tarah uper nahi bethe hai lekin ye pura astitva hi ishwar hai, yani advait maanne wale log hai unko ye jarur yaad rakhna chaiye ki ye astitva ishwar hai usme intelligence bhi hai.. yani astitva me jo bhi badlav hota hai uske piche Karan ishwar tatva ka hai aur vo ek tarah se zinda hai. Jyadatar log jab astitva ko bhagwan bolte hai ye sochte hai ki ye sab sansar apne aap ban gaya hai, lekin esa nahi hai, jese scientist hai vo God particle ko dhund rahe hai lekin uss particle me intelligence nahi hai yani ek tarah se vo zinda nahi hai ya fir uss particle par humara bas chalta hai.. Humare shastro me kaha hai ki कण कण में ईश्वर है, लेकिन उसको आप तब ही जान सकते है जब वो ईश्वर तत्व चाहता है, जब हम उसके शरण में जाए । Science जबरदस्ती उस तत्व को जानना चाहता है जो की नही हो सकता क्युकी हम उस तत्व के अधीन है वो तत्व हमारे अधीन नहीं है । इसलिए ज्ञान मार्ग पर भी हमेशा याद रखे ईश्वर तत्व का सम्मान, उसकी प्रार्थना करना और उसकी शरण में जाना अपने अहंकार को कम करके ।
Пікірлер: 25
Saaheb bandagi satnaam ❤❤❤❤❤
आत्मा और परमामता में भेद इसलिए बताया जाता है ताकि हम उस मार्ग पर चले जैसे, शुरुआत में ज्ञानी जन या गुरु कहते है की शरीर और आत्मा अलग है ये सिर्फ इशारा है धीरे धीरे पता चलेगा आपको की शरीर और आत्मा जेसी 2 अलग अलग वस्तु थी ही नहीं । फिर गुरु कहते है की आत्मा और परमात्मा अलग है ताकि आप उस परमात्मा की शरण में जाए, इस करते करते जो उच्च अवस्था प्राप्त करता है उसको पता चलता है कि आत्मा का अलग अस्तित्व था ही नही यहां सिर्फ और सिर्फ परमात्मा ही है । इसीलिए कबीर दासजी कहते है, " प्रेम गली अति सांकरी, ता में समाए न दो, तू है तो में नही, में हु तो तू नही "।
Jay gurudev ji
Jai Sri ram
Paramshanti 🙏
Atma janam marank chakara m aata hai parampita paramatma iss se nayara aur ati pyara hai
@cute_princess_097
2 ай бұрын
Aatma nahi jeevaatma yani saksm sarer 😂😂
❤ से धन्यवाद
आत्मा और परमात्मा में उतना ही अंतर है.. जितना दीपक की लौ.. और दीपक का प्रकाश में होता है स्याही और अक्षर में जितना अंतर है.. उतना ही आत्मा परमात्मा में होता है
❤❤❤ जय श्री राधे राधे जी ❤❤❤❤ ❤❤❤ जय श्री कृष्ण कृष्ण जी ❤❤❤
सादर प्रणाम आपको और दंडवत प्रणाम अष्टावक्र जी को जिन्होने मुक्ति का इतना सरल सहज मार्ग दिखाया...🙏🏹
@halimbhatti471
Жыл бұрын
Ylyltlylylylyyylylylyylyyyyyylyylyyyyyyyyyyyyyyyyyylyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyylyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyylyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyy6yyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyy6yyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyy6yyy66y6y6y6yy6yy6yy6yyyyyyyy6yy6yyyyy6y6yyyyyy6yy6666y6y66y66666yyy66y66666y6666y6666666
Dhanyavad ji🙏
आत्मा और परमात्मा का जो अंतर है , वो पानी की एक बूंद और सागर जैसा है। मनुष्य विषयों में लिप्त इसलिए है की वो उस बंद जितनी ही समझ रखता है जो सागर मे होकर भी स्वय को बूंद ही जानती है । किसी के देखने से तो वो सागर है स्वयं ना जानने के कारण वो बूंद जितनी ही समझ रखती है। जय श्री राधे राधे।
@jbsingh3309
Жыл бұрын
😢😢. .. ..
@jbsingh3309
Жыл бұрын
,...
@jbsingh3309
Жыл бұрын
😢😢 S p
@user-zh8op3vf6i
11 ай бұрын
@brahmagyan2655
11 ай бұрын
आत्मा और परमामता में भेद इसलिए बताया जाता है ताकि हम उस मार्ग पर चले जैसे, शुरुआत में ज्ञानी जन या गुरु कहते है की शरीर और आत्मा अलग है ये सिर्फ इशारा है धीरे धीरे पता चलेगा आपको की शरीर और आत्मा जेसी 2 अलग अलग वस्तु थी ही नहीं । फिर गुरु कहते है की आत्मा और परमात्मा अलग है ताकि आप उस परमात्मा की शरण में जाए, इस करते करते जो उच्च अवस्था प्राप्त करता है उसको पता चलता है कि आत्मा का अलग अस्तित्व था ही नही यहां सिर्फ और सिर्फ परमात्मा ही है । इसीलिए कबीर दासजी कहते है, " प्रेम गली अति सांकरी, ता में समाए न दो, तू है तो में नही, में हु तो तू नही "।
Jo bhi ye mante hai ki bhagwan sirf ek purush ki tarah uper nahi bethe hai lekin ye pura astitva hi ishwar hai, yani advait maanne wale log hai unko ye jarur yaad rakhna chaiye ki ye astitva ishwar hai usme intelligence bhi hai.. yani astitva me jo bhi badlav hota hai uske piche Karan ishwar tatva ka hai aur vo ek tarah se zinda hai. Jyadatar log jab astitva ko bhagwan bolte hai ye sochte hai ki ye sab sansar apne aap ban gaya hai, lekin esa nahi hai, jese scientist hai vo God particle ko dhund rahe hai lekin uss particle me intelligence nahi hai yani ek tarah se vo zinda nahi hai ya fir uss particle par humara bas chalta hai.. Humare shastro me kaha hai ki कण कण में ईश्वर है, लेकिन उसको आप तब ही जान सकते है जब वो ईश्वर तत्व चाहता है, जब हम उसके शरण में जाए । Science जबरदस्ती उस तत्व को जानना चाहता है जो की नही हो सकता क्युकी हम उस तत्व के अधीन है वो तत्व हमारे अधीन नहीं है । इसलिए ज्ञान मार्ग पर भी हमेशा याद रखे ईश्वर तत्व का सम्मान, उसकी प्रार्थना करना और उसकी शरण में जाना अपने अहंकार को कम करके ।
Jay gurudev ji