#2475 | प्रातकाल उठ कै रघुनाथा | अभिवादन शीलस्य नित्यं वृद्धो पसेविन:

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प्रातकाल उठ कै रघुनाथा | अभिवादन शीलस्य नित्यं वृद्धो पसेविन:

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